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पिंजरे के ऊपर होगा प्रधानमंत्री का मंच...:70 साल बाद चीतों के कदम देश में कैसे पड़ेंगे, ऐतिहासिक इवेंट की पूरी रिपोर्ट पढ़िए...


आमतौर पर यहां वीरानी होती है, इक्का-दुक्का लोग ही दिखते हैं, लेकिन कुछ दिनों से श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क के गेट पर अफसरों की गाड़ियां हर 10 मिनट में भीतर-बाहर हो रही हैं। चीतों के आने से ज्यादा इस बात को लेकर हलचल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इन चीतों के पिंजरे खोलेंगे।

सवाल यह है कि जंगल के सबसे तेज दौड़ने वाले इस जानवर से क्या प्रधानमंत्री की सुरक्षा को खतरा नहीं है? आप सोच रहे होंगे प्रधानमंत्री स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के कमांडो की घेराबंदी में रहेंगे। आप बिल्कुल ठीक सोच रहे हैं, लेकिन एक बात और है, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा की पूरी गारंटी देती है। वो ये है कि चीते कभी इंसान पर हमला नहीं करते। कूनो नेशनल पार्क के CCF उत्तम शर्मा कहते हैं कि आज तक दुनिया में एक भी ऐसा मामला नहीं आया है, जिसमें चीतों ने इंसान पर हमला किया हो।

शायद इसी वजह से सुरक्षा एजेंसियों ने देश को चीतों की सौगात देने के लिए इस 744 वर्ग किलोमीटर के जंगल के बीचोबीच PM मोदी के उतरने पर हामी भर दी है। बाकी उनकी सुरक्षा के जो प्रोटोकॉल हैं, वो तो रहेंगे ही।

एक बात और... 70 साल बाद देश की धरती पर उतरने वाले इन अफ्रीकी चीतों के मौसम से एडजस्ट करने के लिए उन्हें जंगल में छोड़े जाने का यह इवेंट बहुत लिमिटेड लोगों के बीच होगा। उस दौरान सिलेक्टेड VIP, वन विभाग के बड़े अफसर और सुरक्षाकर्मी ही होंगे। आप कैमरों की मदद से ही इस दृश्य को निहार पाएंगे।

  • पार्क के टिकटौली गेट से 18 किलोमीटर भीतर 5 हेलीपैड बने हैं। 3 हेलीपैड प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा के लिए आए हेलीकॉप्टर के लिए रिजर्व हैं। यहां से 500 मीटर के दायरे में 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्म नुमा मंच होगा। इसमें लिमिटेड VIP की एंट्री है।
  • PM मोदी के मंच की ऊंचाई 10 से 12 फीट होगी। मंच पर PM के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय वन मंत्री और मध्यप्रदेश के वन मंत्री होंगे। इसी मंच के ठीक नीचे 6 फीट के पिंजरे में चीते होंगे।
  • मंच से 50 फीट की दूरी पर ऐनक्लोजर में चीतों के लिए बने क्वारैंटाइन सेंटर है।
  • 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ठीक 12.05 बजे लीवर हैंडल घुमाकर चीते के पिंजरे का गेट खोलेंगे। पिंजरों के स्लाइडिंग गेट होंगे, लीवर घूमते ही ये खुल जाएंगे।
  • कुछ मिनट की चहलकदमी के बाद चीते सामने के क्वारैंटाइन सेंटर में होंगे।

पुली घुमाकर चीतों को छोड़ेंगे PM मोदी
PM के आगमन के दौरान चीतों को जिस केज में रखा जाएगा, उसका गेट साइड की तरफ खुलेगा। PM पुली को घुमाएंगे तो गेट खुलेगा। चीतों को छोड़े जाने का लाइव प्रसारण होगा। कूनों में दो नर और एक मादा चीतों को PM मोदी खुद छोड़ेंगे। पुली इलेक्ट्रॉनिक नहीं मैकेनिकल होगी। पहले रिमोट के जरिए चीता छोड़ने की तैयारी थी।

भारत को 12 चीते और मिल सकते हैं
कूनो में चीतों को छोड़ने के लिए आ रहे प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से उत्साहित वन मंत्री विजय शाह से हमने सवाल किया- कितने चीते आ रहे हैं? उन्होंने कहा- नामीबिया से 8 चीतों को लाने पर सहमति बन गई है। साउथ अफ्रीका की टीम भी कूनो का माहौल देखकर गई है। यदि अगले एक दो दिनों में साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई तो 12 चीते और मिल जाएंगे। हालांकि 8 का आना पक्का है। इसमें 5 नर और 3 मादा होंगे। सब अलग-अलग पिंजरों में जाएंगे। कूनो आने के बाद भी नर और मादा चीतों को अलग-अलग ही रखा जाएगा। दो नर चीते एक साथ रखे जाएंगे, लेकिन मादा चीता क्वारैंटाइन सेंटर में एक ही रहेगी।

जयपुर लैंड होगा चीतों का स्पेशल प्लेन
16 सितंबर को अफ्रीका से इन चीतों को स्पेशल प्लेन से रवाना किया जाएगा। अब तक ये बताया गया है कि ये सीधे जयपुर लैंड करेंगे। इसके बाद एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से इन्हें सीधे कूनो नेशनल पार्क के बीचोबीच उतारा जाएगा। यहां पहले से चीतों के हेलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड तैयार हैं। वन मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के आने से ठीक 4 घंटे पहले चीते कूनो पहुंचेंगे यानी सुबह 8 बजे कूनो नेशनल पार्क में चीतों की आमद हो जाएगी। जब प्रधानमंत्री मोदी उनके पिंजरों को खोलेंगे, तब तक वे कूनो की आबोहवा से थोड़े एडजस्ट भी हो जाएंगे।

6 क्वारैंटाइन सेंटर में रखे जाएंगे चीते
चीफ कन्जर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट उत्तम शर्मा कहते हैं- इन चीतों को पहले एक महीने क्वारैंटाइन रखा जाएगा। इसके लिए 6 क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए हैं। क्वारैंटाइन सेंटर में नर चीतों और मादा चीतों को अलग-अलग रखा जाएगा।

वन्य प्राणियों के डॉक्टर उनकी सेहत की लगातार निगरानी रखेंगे। इन्हीं क्वारैंटाइन सेंटर में चीतों को चीतल और अन्य छोटे प्राणी परोसे जाएंगे। एक महीने बाद सब कुछ ठीक रहा तो इन्हें 500 हेक्टेयर में फैले दूसरे लेवल के ऐनक्लोजर में छोड़ा जाएगा। इसका एरिया 500 हेक्टेयर यानी करीब 1250 एकड़ का होगा। यहां वे चहलकदमी कर पाएंगे, लेकिन लंबी छलांग नहीं लगा पाएंगे।

दिसंबर में चीतों को मिल सकता है जंगल
1अक्टूबर से नेशनल पार्क आम लोगों के लिए खुलते हैं। तब तक इनका क्वारैंटाइन पीरियड ही पूरा नहीं होगा। ऐसे में फिलहाल ये मुश्किल है कि टिकट लेकर भी आप इन्हें देख सकें। नवंबर के दूसरे-तीसरे हफ्ते में जब ये 500 हेक्टेयर वाले ऐनक्लोजर में शिफ्ट होंगे, तब कुछ गुंजाइश हो सकती है, लेकिन इस विषय में पार्क प्रबंधन उनके व्यवहार को देखने के बाद ही कोई निर्णय लेगा। दिसंबर में संभवत: इन्हें खुले जंगलों में छोड़ा जाएगा। तब जंगल सफारी के दौरान आप इन्हें देख पाएंगे।

चीता मित्रों को तेंदुए और चीते में फर्क बताया जा रहा
कूनो नेशनल पार्क के पास के गांवों में वन विभाग ने चीतों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को चीता मित्र बनाया है। इसका मकसद ये है कि ग्रामीण चीता और तेंदुए में फर्क को समझें। उन्हें ये भी बताया जा रहा है कि इंसानों की जिंदगी को चीतों से खतरा नहीं है, चीते कभी इंसान पर हमला नहीं करते। हालांकि दैनिक भास्कर ने ग्रामीणों से बात की तो वे इसको लेकर उतने आश्वस्त नहीं हैं। उनका कहना है कि उनके मवेशियों को ज्यादा खतरा होगा।

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अफ्रीकन चीतों के लिए तैयार MP का कूनो नेशनल पार्क

70 साल से देश में लुप्त श्रेणी में रखे गए चीते अब श्योपुर कूनो नेशनल पार्क में नजर आएंगे। इन्हें लाने की तैयारी पूरी हो चुकी है। पहले चरण में 8 चीते (5 मेल और 3 फीमेल) अफ्रीका से लाए जा रहे हैं। अब सभी की निगाहें 17 सितंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर हैं। इसी दिन वे कूनो आकर इन चीतों को यहां छोड़ेंगे। क्लिक करें

कूनो के 'चीता बाड़े' में सिर्फ एक तेंदुआ

मध्यप्रदेश के श्योपुर में कूनो नेशनल पार्क के चीता बाड़े से 4 तेंदुओं को रेस्क्यू कर लिया गया। सिर्फ एक तेंदुआ बचा था, जिसकी वन विभाग तलाश कर रही थी। इसे भी चीतों के आने के पहले ही रेस्क्यू कर लिया गया। क्लिक करें

देश के आखिरी चीते की कहानी

भारत में 75 साल बाद चीतों की वापसी हो रही है। सन् 1948 के बाद देश में चीते देखे जाने की कोई अधिकारिक सूचना नहीं है। 1952 में तो इसे शासकीय तौर पर विलुप्त अथवा भारत से प्रजाति का खत्म होना मान लिया गया था। देश में इससे पहले आखिरी बार चीते को 1948 में छत्तीसगढ़ की कोरिया रियासत में देखा गया था। यहां के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में तीन चीतों का शिकार किया था। यही देश के आखिरी चीते थे। 

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